कांग्रेस को उद्योग की समझ नहीं: मोदी का हमला


प्रस्तावना (
Introduction)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हालिय भाषण में कांग्रेस पर सीधा और तीखा प्रहार करते हुए कहा कि विपक्ष को न तो उद्योग की समझ है और न ही देश की अर्थव्यवस्था की दिशा की। मोदी ने कहा कि कांग्रेस की सोच केवल सत्ता और लाभ तक सीमित है, जबकि भाजपा का उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर और औद्योगिक रूप से सशक्त बनाना है। यह बयान उन्होंने देश के उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए दिया, जहाँ उन्होंने भारत की आर्थिक उपलब्धियों और भविष्य की दिशा पर विस्तार से बात की।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया भाषण / रैली / कार्यक्रम

मुख्य बिंदु:

  • प्रधानमंत्री ने यह संबोधन विकसित भारत – उद्योग संकल्प सम्मेलन” में दिया, जो अहमदाबाद, गुजरात में आयोजित हुआ।
  • कार्यक्रम में देशभर के प्रमुख उद्योगपति, MSME प्रतिनिधि और निवेशक शामिल थे।
  • मोदी ने उद्योग जगत को संबोधित करते हुए कहा कि “सरकार और उद्योग के बीच विश्वास का रिश्ता ही विकास का असली आधार है।”
  • उन्होंने “मेक इन इंडिया” और “स्टार्टअप इंडिया” जैसी पहलों का ज़िक्र करते हुए कहा कि देश अब उत्पादन और नवाचार दोनों में आगे बढ़ रहा है।

  • भाषण का मुख्य फोकस था — विकास के लिए उद्योग और नीति के बीच साझेदारी’।

 कांग्रेस पर तीखा प्रहार — खासकर उद्योग, निवेश और आर्थिक नीतियों को लेकर

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक शासन किया, लेकिन उद्योग को “संदेह की नज़र” से देखा।
  • उन्होंने आरोप लगाया कि “कांग्रेस की नीतियाँ ऐसी थीं जिनसे उद्यमियों को आगे बढ़ने में डर लगता था।”
  • मोदी ने कहा, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को लाइसेंस-राज और भ्रष्टाचार में फँसाया, वे आज उद्योग की बात कर रहे हैं — यह हास्यास्पद है।”
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के शासन में निवेशक देश छोड़कर बाहर जाते थे, जबकि आज भारत “निवेश का केंद्र” बन गया है।
  • उन्होंने कहा कि “कांग्रेस ने हमेशा कारोबारियों को खलनायक की तरह पेश किया, जबकि हमने उन्हें राष्ट्र निर्माण का साथी माना।”

मोदी का संदेश: “कांग्रेस की सोच सिर्फ़ सत्ता और लाभ तक सीमित, देश की अर्थव्यवस्था की समझ नहीं”

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने कहा कि कांग्रेस को “आर्थिक नीतियों की गहराई की कोई समझ नहीं।”
  • उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का पूरा ध्यान केवल सत्ता पाने और लाभ बाँटने तक सीमित रहा है।
  • प्रधानमंत्री ने कहा, जो पार्टी देश के उद्योग को बोझ समझे, वो देश को कैसे विकसित कर सकती है?”
  • मोदी ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार उद्योग को “रोज़गार सृजन का माध्यम” मानती है, न कि “राजनीतिक चंदे का साधन।”
  • उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का मकसद है — “भारत को विनिर्माण (manufacturing) का वैश्विक केंद्र बनाना।”

 घटना का स्थान, तिथि और आयोजन

मुख्य बिंदु:

  • कार्यक्रम का नाम: विकसित भारत – उद्योग संकल्प सम्मेलन”
  • स्थान: महात्मा मंदिर, गांधीनगर (गुजरात)
  • तिथि: 7 नवंबर 2025 (शुक्रवार)
  • आयोजन: केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय द्वारा
  • मंच पर उपस्थित प्रमुख नेता: केंद्रीय वित्त मंत्री, वाणिज्य मंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री
  • कार्यक्रम का उद्देश्य: भारतीय उद्योग नीति पर चर्चा और निवेशकों को देश में नए अवसरों से जोड़ना

 भाषण का मुख्य संदर्भ (Context)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह भाषण ऐसे समय में आया जब देश की आर्थिक नीतियों और उद्योग जगत को लेकर सियासी बयानबाज़ी तेज़ है। विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर यह आरोप लगाता रहा है कि वह कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुंचा रही है। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष को उद्योग की असली भूमिका और उसकी अहमियत की समझ ही नहीं है। मोदी ने यह स्पष्ट किया कि “उद्योग और उद्यमिता” भारत की प्रगति की रीढ़ हैं, और इन्हें राजनीतिक चश्मे से देखना देश के हित में नहीं।

 मोदी का उद्योगपतियों और निवेशकों को संबोधन

मुख्य बिंदु:

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का लक्ष्य अब “विकसित भारत 2047” है, और इसमें उद्योग जगत की भूमिका निर्णायक होगी।
  • उन्होंने उद्योगपतियों से कहा कि सरकार हर स्तर पर “Ease of Doing Business” को मज़बूत कर रही है।
  • मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने नीतियों को “पारदर्शी, स्थिर और निवेशक-हितैषी” बनाया है।
  • प्रधानमंत्री ने उद्योगपतियों को आश्वस्त किया कि “सरकार अब नियंत्रण नहीं, सहयोग का वातावरण बना रही है।”
  • उन्होंने कहा कि “हम उद्योग को न केवल नौकरी देने वाला क्षेत्र मानते हैं, बल्कि नवाचार और आत्मनिर्भरता का प्रेरक भी।”

 भारत की आर्थिक प्रगति, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर ज़ोर

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने कहा कि मेक इन इंडिया” अब एक नारा नहीं, बल्कि भारत की औद्योगिक क्रांति का प्रतीक बन गया है।
  • उन्होंने बताया कि भारत अब दुनिया के शीर्ष पाँच विनिर्माण केंद्रों में शामिल होने की ओर बढ़ रहा है।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान ने MSME सेक्टर को नई ताकत दी है।
  • उन्होंने डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसी पहलों को भी उद्योग विकास से जोड़ा।
  • मोदी ने कहा, “हमारे युवा अब नौकरी ढूंढने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बन रहे हैं।”

 विपक्ष के आरोपों का जवाब — ‘उद्योग को दुश्मन नहीं, विकास का इंजन समझो’

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, जो लोग उद्योग को शक की निगाह से देखते हैं, वे भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे धकेलना चाहते हैं।”
  • उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सोच यह रही है कि उद्योगपतियों से दूरी बनाकर राजनीति चमकाई जाए।
  • प्रधानमंत्री ने कहा, “जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब लालफीताशाही और भ्रष्टाचार ने उद्योग को जकड़ रखा था।”
  • उन्होंने कहा कि आज भारत निवेश, उत्पादन और निर्यात — तीनों मोर्चों पर विश्व में नई पहचान बना रहा है।
  • मोदी ने स्पष्ट किया कि “हम उद्योगपतियों को पूंजीपति नहीं, राष्ट्रनिर्माता मानते हैं।”

 अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य (Global Context)

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने कहा कि भारत अब विश्व के भरोसेमंद निवेश गंतव्यों में से एक है।
  • कई वैश्विक कंपनियाँ चीन से हटकर भारत में निवेश बढ़ा रही हैं।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भारत को “स्थिर, लोकतांत्रिक और औद्योगिक रूप से सक्षम राष्ट्र” के रूप में देख रही है।
  • उन्होंने कहा कि आने वाले दशक में भारत न केवल उत्पादन, बल्कि तकनीकी नवाचार में भी अग्रणी बनेगा।
  • मोदी ने संदेश दिया — “21वीं सदी भारत की औद्योगिक सदी होगी।”

मोदी के प्रमुख बयान (Key Points of Modi’s Speech)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में जोश और आत्मविश्वास से भरे अंदाज़ में कांग्रेस और विपक्ष पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने न तो उद्योग को कभी समझा, न ही उसे बढ़ावा देने की नीयत दिखाई। मोदी ने उद्योग को भारत की प्रगति का इंजन बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने वह माहौल बनाया है जिसमें उद्यमी बिना भय और बाधा के काम कर सकते हैं। उनके पूरे भाषण में “विकास बनाम विरोध की राजनीति” की झलक साफ़ दिखी।

 (a) कांग्रेस पर सीधा निशाना

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने कहा, कांग्रेस को उद्योग की समझ नहीं है, इसलिए वह हर उस चीज़ का विरोध करती है जो देश को आगे बढ़ा सकती है।”
  • उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल को “नीतिगत पक्षाघात” (Policy Paralysis) का दौर बताया।
  • मोदी ने कहा कि कांग्रेस की राजनीति उद्योग के विरोध पर टिकी रही, जिससे रोजगार और निवेश दोनों प्रभावित हुए।
  • उन्होंने कहा, जो लोग दशकों तक सत्ता में रहे, उन्होंने उद्योग को अपराध बना दिया और उद्यमियों को दोषी।”
  • मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसकी सोच “सिर्फ़ घोषणाओं की राजनीति” तक सीमित है, जबकि भाजपा नतीजों पर काम करती है।

 (b) भाजपा की आर्थिक सोच और नीति दृष्टिकोण

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने कहा कि भाजपा की नीति है — “उद्योग के बिना विकास अधूरा है।”
  • उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने लालफीताशाही कम की, लाइसेंस-राज समाप्त किया और पारदर्शी प्रक्रिया लागू की।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि “हम उद्योग को सहयोग का माध्यम मानते हैं, प्रतिस्पर्धा का नहीं।”
  • उन्होंने बताया कि सरकार ने GST, उत्पादन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं से उद्योग जगत को मज़बूती दी।
  • मोदी ने कहा, “हमने Ease of Doing Business को सिर्फ़ कागज़ पर नहीं, ज़मीन पर उतारा है।”

 (c) उद्योग जगत के प्रति विश्वास और संदेश

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने कहा कि सरकार और उद्योग का रिश्ता “भरोसे और भागीदारी” पर आधारित है।
  • उन्होंने उद्योगपतियों से कहा कि “आप सिर्फ़ निवेशक नहीं, राष्ट्र निर्माण के साथी हैं।”
  • मोदी ने आग्रह किया कि भारतीय उद्योग अब “वोकल फॉर लोकल” के बजाय “लोकल टू ग्लोबल” की दिशा में सोचे।
  • उन्होंने कहा कि देश के युवाओं की ऊर्जा और उद्योगपतियों की दूरदर्शिता से भारत दुनिया का विनिर्माण केंद्र बनेगा।
  • मोदी ने कहा, सरकार उद्यमियों की पीठ थपथपाएगी, बोझ नहीं बढ़ाएगी।”

 (d) युवाओं और स्टार्टअप्स के लिए संदेश

मुख्य बिंदु:

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अब “Startup Nation” बन चुका है — दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम।
  • उन्होंने कहा कि युवाओं के भीतर जोखिम लेने और नवाचार की क्षमता भारत की सबसे बड़ी पूंजी है।
  • मोदी ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में स्टार्टअप सेक्टर में रिकॉर्ड निवेश हुआ है।
  • उन्होंने कहा कि युवा अब नौकरी नहीं ढूंढ रहे, बल्कि दूसरों के लिए नौकरी पैदा कर रहे हैं।
  • मोदी ने कहा, युवाओं का जोश और उद्योग का अनुभव मिलकर भारत को विश्वगुरु बनाएगा।”

 (e) राष्ट्रीय दृष्टि — ‘उद्योग ही विकास का इंजन’

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए उद्योग ही सबसे बड़ा प्रेरक तत्व है।
  • उन्होंने कहा कि “हम ऐसा भारत चाहते हैं जहाँ उत्पाद ‘मेड इन इंडिया’ ही नहीं, ‘मेड फॉर द वर्ल्ड’ हों।”
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की नीतियाँ अब “उद्यम-केन्द्रित” (Enterprise-Centric) हैं, न कि “सरकार-केन्द्रित।”
  • उन्होंने कहा कि अगले 25 साल भारत के उद्योगों के स्वर्ण युग साबित होंगे।
  • मोदी का समापन वाक्य था — जो देश अपने उद्योग को समझता है, वही देश दुनिया का नेतृत्व करता है — और भारत उसी दिशा में बढ़ रहा है।”

विपक्ष की आलोचना और जवाब (Opposition Reaction)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान — कांग्रेस को उद्योग की समझ नहीं”ने राजनीतिक हलचल तेज़ कर दी। विपक्षी दलों ने मोदी के आरोपों को “राजनीतिक प्रोपेगेंडा” बताया और कहा कि भाजपा सरकार केवल बड़े पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है। कांग्रेस, RJD, और अन्य विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के बयानों को “जनता का ध्यान भटकाने की रणनीति” करार दिया। वहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष विकास की रफ्तार से परेशान है और झूठ फैलाने की कोशिश कर रहा है।

(a) कांग्रेस की प्रतिक्रिया

मुख्य बिंदु:

  • कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि “प्रधानमंत्री उद्योग की बात करते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा सरकार ने छोटे व्यवसायियों को बर्बाद किया।”
  • उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा केवल “चुनिंदा अरबपतियों” के लिए नीतियाँ बना रही है, जबकि छोटे व्यापारी और किसान संकट में हैं।
  • रमेश ने कहा, मोदी जी उद्योग की बात करते हैं, लेकिन बेरोज़गारी, महंगाई और गिरती ख़रीद शक्ति पर चुप हैं।”
  • कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना केवल घोषणाओं तक सीमित है, ज़मीन पर कोई ठोस परिणाम नहीं दिख रहे।
  • उन्होंने यह भी कहा कि “मोदी सरकार के दौर में उद्योग जगत कुछ हाथों में सिमट गया है।”

 (b) विपक्षी गठबंधन (INDIA Bloc) की प्रतिक्रिया

मुख्य बिंदु:

  • RJD और JDU नेताओं ने कहा कि मोदी केवल “कॉर्पोरेट-फ्रेंडली भाषण” देते हैं, जबकि आम व्यापारी की कोई सुनवाई नहीं होती।
  • TMC ने कहा कि प्रधानमंत्री “उद्योग की समझ” पर सवाल उठाने से पहले किसानों की हालत देखें।
  • AAP नेताओं ने कहा कि “भाजपा के शासन में उद्योगपतियों को टैक्स छूट दी जा रही है, जबकि आम जनता महंगाई से जूझ रही है।”
  • INDIA गठबंधन ने एक संयुक्त बयान में कहा कि भाजपा सरकार “रोज़गार की बजाय रेटिंग एजेंसियों को जवाब दे रही है।”
  • उन्होंने मोदी के भाषण को “चुनावी मंच से कॉर्पोरेट हितों की पैरवी” बताया।

 (c) कांग्रेस का पलटवार — “विकास सिर्फ़ अमीरों के लिए नहीं हो सकता”

मुख्य बिंदु:

  • कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मोदी को याद रखना चाहिए कि “विकास तभी सच्चा होता है जब सबका हो।”
  • उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के लिए उद्योग का मतलब अडानी-अंबानी है, हमारे लिए उद्योग का मतलब छोटे व्यापारी, किसान और मज़दूर हैं।”
  • कांग्रेस ने मोदी सरकार पर “असमान विकास” का आरोप लगाया, जिसमें केवल कुछ राज्यों और बड़े घरानों को लाभ मिला।
  • खड़गे ने कहा कि कांग्रेस की नीति रही है — “जनता के लिए उद्योग, न कि उद्योग के लिए जनता।”
  • उन्होंने मांग की कि मोदी सरकार उद्योग नीति को संसद में बहस के लिए रखे ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

 (d) भाजपा का जवाब — “विपक्ष विकास से डरता है”

मुख्य बिंदु:

  • भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि विपक्ष की आलोचना “निराशा और हताशा” से भरी है।
  • उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने भारत को “विनिर्माण केंद्र” बनाया, जबकि कांग्रेस ने केवल लाइसेंस राज दिया था।
  • भाजपा ने कहा कि विपक्ष के पास न तो नीति है न दृष्टि, इसलिए वे “कॉर्पोरेट” का डर दिखाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
  • पात्रा ने कहा, मोदी ने जो कहा वह सच्चाई है — कांग्रेस को उद्योग की समझ नहीं, इसलिए देश पिछड़ा रहा।”
  • भाजपा ने विपक्ष से सवाल किया कि “अगर उन्हें उद्योग की समझ थी, तो 60 साल में भारत पिछड़ा क्यों रहा?”

(e) मीडिया और जन प्रतिक्रिया

मुख्य बिंदु:

  • मीडिया में मोदी के बयान पर तीखी बहस छिड़ गई — “क्या यह कॉर्पोरेट बनाम जनता की राजनीति है?”
  • कई उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि मोदी की नीतियाँ उद्योग के लिए लाभदायक हैं, लेकिन असमानता की चुनौती अब भी बनी हुई है।
  • सोशल मीडिया पर भाजपा समर्थक “#MakeInIndia” ट्रेंड करवा रहे हैं, जबकि विपक्षी खेमे ने “#SuitBootKiSarkar” फिर से उछाला।
  • कुछ विश्लेषकों ने कहा कि मोदी का यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जो “विकास बनाम वंशवाद” की कहानी को आगे बढ़ाता है।
  • जनता के बीच मत विभाजित रहा — कुछ ने मोदी के आत्मविश्वास की तारीफ की, तो कुछ ने इसे “जनता से दूरी” कहा।

निष्कर्ष (Conclusion)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान — कांग्रेस को उद्योग की समझ नहीं” सिर्फ़ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक सोच और भविष्य की दिशा पर केंद्रित संदेश माना जा रहा है। मोदी ने उद्योग को राष्ट्र निर्माण का प्रमुख स्तंभ बताते हुए स्पष्ट किया कि भाजपा सरकार विकास को “जनता और उद्योग की साझेदारी” के रूप में देखती है। वहीं, विपक्ष ने इसे “कॉर्पोरेट परस्त राजनीति” करार देते हुए आम जनता और छोटे उद्योगों की उपेक्षा का आरोप लगाया। इस बयान से न केवल राजनीतिक हलचल बढ़ी है, बल्कि यह चर्चा भी तेज़ हो गई है कि भारत का आर्थिक मॉडल किस दिशा में जा रहा है — जन-केंद्रित या उद्योग-केंद्रित।

 (a) राजनीतिक दृष्टि से प्रभाव

मुख्य बिंदु:

  • मोदी का यह बयान चुनावी माहौल में भाजपा की “विकास बनाम वंशवाद” की रणनीति को मज़बूती देता है।
  • भाजपा इस मुद्दे को उद्योग और निवेश के ज़रिए रोजगार सृजन के संदेश से जोड़ रही है।
  • विपक्ष, खासकर कांग्रेस, इस बयान को “अमीरों की सरकार” के नैरेटिव के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है।
  • यह बयान आने वाले चुनावी अभियानों में “विकास बनाम असमानता” की बहस को और तेज़ करेगा।
  • राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह मोदी की “आर्थिक राष्ट्रवाद” की पिच को और मजबूत करता है।

 (b) आर्थिक दृष्टि से संकेत

मुख्य बिंदु:

  • मोदी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि भारत का विकास उद्योग और उद्यमिता के बिना संभव नहीं।
  • इस बयान से सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि “निवेश और उद्योग” उसकी नीति के केंद्र में हैं।
  • अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मोदी की सोच “विकास की स्थिरता” और “रोजगार सृजन” पर केंद्रित है।
  • हालांकि, आलोचक कहते हैं कि उद्योग की वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक असमानता पर भी ध्यान देना ज़रूरी है।
  • भारत की औद्योगिक नीति अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा और आत्मनिर्भरता — दोनों को संतुलित करने की कोशिश में है।

 (c) भावी परिप्रेक्ष्य (Future Outlook)

मुख्य बिंदु:

  • मोदी सरकार आने वाले वर्षों में ‘मेक इन इंडिया 2.0’ और ‘विकसित भारत 2047’ के तहत नई औद्योगिक नीति लाने की तैयारी में है।
  • सरकार का फोकस MSME, हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उत्पादन जैसे रणनीतिक क्षेत्रों पर रहेगा।
  • विपक्ष इस दौरान रोजगार, महंगाई और ग्रामीण उद्योग की स्थिति को मुख्य मुद्दा बनाना चाहता है।
  • राजनीतिक स्तर पर यह मुद्दा “कौन भारत के विकास मॉडल का असली प्रतिनिधि है” की बहस को जन्म दे रहा है।
  • विश्लेषकों के अनुसार, यह बहस भारत की आर्थिक दिशा तय करने में निर्णायक साबित हो सकती है।

🇮🇳 (d) समापन संदेश

मुख्य बिंदु:

  • मोदी का भाषण उद्योग को “राष्ट्र निर्माण की धुरी” के रूप में प्रस्तुत करता है।
  • उन्होंने यह स्पष्ट किया कि “सशक्त भारत” की नींव मज़बूत उद्योग, निवेश और नवाचार से ही रखी जा सकती है।
  • विपक्ष ने इस पर राजनीतिक हमला किया, लेकिन भाजपा इसे अपनी विकास यात्रा का प्रमाण बता रही है।
  • अंततः यह बहस केवल उद्योग की समझ की नहीं, बल्कि भारत के भविष्य की दिशा” की बन चुकी है।
  • और शायद यही प्रधानमंत्री का असली संदेश था — जिस देश को अपनी औद्योगिक शक्ति पर भरोसा है, वही देश आत्मनिर्भर और विकसित बन सकता है।”

 

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