Bihar Exit Poll: RJD-कांग्रेस और BJP-जेडीयू गठबंधन को कितनी सीटें दे रहे हैं एग्जिट पोल?



परिचय 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के समाप्त होते ही अब सबकी निगाहें एग्जिट पोल के नतीजों पर टिकी हैं। मतदान के आख़िरी चरण के बाद टीवी चैनलों और सर्वे एजेंसियों ने अपने-अपने अनुमान जारी कर दिए हैं, जिनसे राज्य की राजनीतिक तस्वीर का मोटा अंदाज़ा लगाया जा सकता है। यह एग्जिट पोल न केवल दलों की लोकप्रियता का बैरोमीटर होते हैं, बल्कि आगामी सरकार की संभावनाओं की झलक भी पेश करते हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल की चर्चा

  • बिहार में इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा, जहाँ महागठबंधन (RJD–कांग्रेस–लेफ्ट) और एनडीए (BJP–JDU–HAM आदि) के बीच सीधी टक्कर देखी गई।
  • मतदान के बाद कई एजेंसियों जैसे Axis My India, C-Voter, और Today’s Chanakya ने एग्जिट पोल जारी किए हैं, जिनमें दोनों गठबंधनों के बीच कड़ा मुकाबला दिखाया गया है।
  • एग्जिट पोल के नतीजों ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चाएँ छेड़ दी हैं कि क्या इस बार सत्ता परिवर्तन होगा या नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए सत्ता में वापसी करेगा।

जनता और राजनीतिक हलकों में बढ़ती उत्सुकता

  • आम मतदाता अब यह जानने को उत्सुक है कि उसने जिस दिशा में वोट डाला, क्या बाकी राज्य ने भी वैसा ही किया?
  • सोशल मीडिया, न्यूज़ चैनलों और राजनीतिक मंचों पर लगातार चर्चाएँ जारी हैं।
  • नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भी एग्जिट पोल को लेकर रणनीतिक बैठकें और प्रतिक्रिया सत्र चल रहे हैं — हर दल अपनी स्थिति का आकलन कर रहा है।

एग्जिट पोल का महत्व – सरकार गठन के संकेत

  • एग्जिट पोल को अक्सर जनता की नब्ज़” माना जाता है — ये अंतिम नतीजों से पहले जनता के मूड का संकेत देते हैं।
  • राजनीतिक दल इन आंकड़ों के आधार पर भविष्य की रणनीति और संभावित गठबंधन की दिशा तय करने लगते हैं।
  • हालांकि एग्जिट पोल हमेशा सटीक नहीं होते, लेकिन वे राजनीतिक परिदृश्य की प्रारंभिक झलक पेश करते हैं, जिससे मीडिया और जनता में राजनीतिक चर्चा का माहौल बनता है।

मुख्य मुकाबला 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला पूरी तरह से दो प्रमुख गठबंधनों के बीच सिमट गया है। एक तरफ है महागठबंधन, जिसमें आरजेडी और कांग्रेस जैसे पारंपरिक दल शामिल हैं, तो दूसरी ओर है एनडीए गठबंधन, जो भाजपा और जेडीयू की साझेदारी पर आधारित है। दोनों ही पक्षों ने इस चुनाव में अपनी साख और भविष्य दांव पर लगा दिया है। वहीं कुछ छोटे दल और क्षेत्रीय खिलाड़ी भी सीमित सीटों पर मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं।

महागठबंधन (RJD–कांग्रेस–लेफ्ट)

  • मुख्य चेहरे: तेजस्वी यादव (RJD), अखिलेश सिंह (कांग्रेस), दीपंकर भट्टाचार्य (लेफ्ट)।
  • मुख्य मुद्दे: बेरोज़गारी, शिक्षा व्यवस्था, महंगाई, और भ्रष्टाचार।
  • रणनीति: युवा और बेरोजगार वर्ग पर सीधा फोकस; ‘नौकरी बनाम वादा’ का नैरेटिव आगे रखा गया।
  • सामाजिक समीकरण: यादव, मुस्लिम और दलित मतदाता इस गठबंधन की मुख्य ताकत माने जाते हैं।
  • लक्ष्य: पिछली बार की तुलना में अधिक सीटें हासिल कर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री की दौड़ में मज़बूत स्थिति में लाना।

एनडीए (BJP–JDU–HAM–VIP आदि)

  • मुख्य चेहरे: नीतीश कुमार (JDU), सम्राट चौधरी (BJP), जीतन राम मांझी (HAM)
  • मुख्य मुद्दे: विकास, कानून व्यवस्था, महिला सशक्तिकरण और केंद्र–राज्य के तालमेल पर ज़ोर।
  • रणनीति: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल करना।
  • सामाजिक समीकरण: सवर्ण, कुर्मी, और अति पिछड़े वर्ग (EBC) के वोटरों पर विशेष फोकस।
  • लक्ष्य:सुसाशन” की छवि और स्थिर सरकार के वादे के साथ सत्ता में वापसी।

अन्य दल और तीसरा मोर्चा

  • एआईएमआईएम (AIMIM): सीमांचल क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति, मुस्लिम वोटों पर पकड़ बनाए रखने की कोशिश।
  • एलजेपी (रामविलास पासवान गुट): कुछ सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनाई।
  • छोटे क्षेत्रीय दल: स्थानीय मुद्दों जैसे सड़क, शिक्षा और बिजली पर फोकस करते हुए सीमित प्रभाव डालने की कोशिश।

एग्जिट पोल परिणाम (Exit Poll Results)

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मतदान समाप्त होते ही विभिन्न मीडिया चैनलों और सर्वे एजेंसियों ने अपने-अपने एग्जिट पोल जारी किए। इन एग्जिट पोल्स ने यह संकेत दिया है कि राज्य में सत्ता की जंग बेहद कांटे की होने वाली है। कोई भी गठबंधन साफ़ तौर पर बहुमत पाता नहीं दिख रहा है, जिससे संभावित राजनीतिक जोड़-तोड़ की संभावना बढ़ गई है।

ABP–C Voter एग्जिट पोल

  • महागठबंधन (RJD–कांग्रेस–लेफ्ट): 110–125 सीटें
  • एनडीए (BJP–JDU–HAM आदि): 100–115 सीटें
  • अन्य दल: 5–10 सीटें
  • मुख्य संकेत: महागठबंधन को मामूली बढ़त, लेकिन मुकाबला बेहद नज़दीकी।

India Today–Axis My India एग्जिट पोल

  • महागठबंधन: 118–135 सीटें
  • एनडीए: 95–110 सीटें
  • अन्य: 5–8 सीटें
  • मुख्य संकेत: तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन को सरकार गठन के करीब दिखाया गया।

News18–Mega Poll

  • महागठबंधन: 105–120 सीटें
  • एनडीए: 108–122 सीटें
  • अन्य: 3–7 सीटें
  • मुख्य संकेत: दोनों गठबंधनों के बीच सीटों का अंतर बहुत कम, “हंग असेंबली” की संभावना।

Times Now–ETG एग्जिट पोल

  • महागठबंधन: 102–118 सीटें
  • एनडीए: 110–125 सीटें
  • अन्य: 5–8 सीटें
  • मुख्य संकेत: एनडीए को हल्की बढ़त, नीतीश कुमार की वापसी की संभावना जीवित।

क्षेत्रवार रुझान 

बिहार में राजनीतिक समीकरण हमेशा क्षेत्रवार बदलते रहे हैं। इस बार भी 2025 के विधानसभा चुनाव में राज्य के अलग-अलग हिस्सों में मतदाताओं का रुझान भिन्न दिखाई दिया। एग्जिट पोल के आंकड़ों और स्थानीय रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि कुछ क्षेत्रों में महागठबंधन ने मजबूत पकड़ बनाई है, जबकि कुछ इलाकों में एनडीए की बढ़त कायम है।

उत्तर बिहार 

  • इस क्षेत्र में मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी जैसे जिले शामिल हैं।
  • यहाँ पर जातीय समीकरण काफी प्रभावशाली रहे — यादव, कुर्मी और ब्राह्मण वोट निर्णायक साबित हुए।
  • एग्जिट पोल संकेत: महागठबंधन को यहाँ से अच्छी बढ़त मिलती दिख रही है, खासकर ग्रामीण सीटों पर RJD को मज़बूत समर्थन मिला।
  • एनडीए ने भी शहरी इलाकों में भाजपा के बूथ मैनेजमेंट और मोदी फैक्टर के दम पर प्रतिस्पर्धा बनाए रखी।

मगध और दक्षिण बिहार (Magadh & South Bihar)

  • इस क्षेत्र में गया, नवादा, जहानाबाद, और अरवल जैसी सीटें शामिल हैं।
  • यहाँ जेडीयू और आरजेडी के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला।
  • नीतीश कुमार का गृहक्षेत्र होने के कारण जेडीयू को कुछ परंपरागत सीटों पर लाभ मिलता दिख रहा है।
  • एग्जिट पोल संकेत: एनडीए को यहाँ मामूली बढ़त, जबकि कुछ जिलों में महागठबंधन ने भी मजबूत प्रदर्शन किया।

सीमांचल क्षेत्र (Seemanchal Region)

  • इस क्षेत्र में कटिहार, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया जैसी सीटें आती हैं।
  • यहाँ मुस्लिम आबादी का प्रतिशत अधिक होने के कारण AIMIM और महागठबंधन दोनों को फायदा मिला।
  • एग्जिट पोल संकेत: सीमांचल में महागठबंधन और AIMIM को बढ़त, एनडीए पिछड़ता दिख रहा है।
  • AIMIM ने सीमांचल की कुछ सीटों पर महागठबंधन के वोट बैंक को भी नुकसान पहुँचाया है।

पटना और मध्य बिहार 

  • इस क्षेत्र में पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर जैसे ज़िले शामिल हैं।
  • शहरी वोटरों में भाजपा का प्रभाव अधिक रहा, जबकि ग्रामीण इलाकों में RJD ने कड़ी टक्कर दी।
  • एग्जिट पोल संकेत: पटना और नालंदा में एनडीए को हल्की बढ़त, लेकिन महागठबंधन ने भी वोट प्रतिशत में सुधार दर्ज किया।

कोशी–मिथिलांचल बेल्ट

  • सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, समस्तीपुर जैसे जिलों में पारंपरिक रूप से RJD का प्रभाव रहा है।
  • इस बार युवा मतदाताओं ने भी तेजस्वी यादव को समर्थन दिया।
  • एग्जिट पोल संकेत: इस बेल्ट में महागठबंधन आगे, एनडीए को कुछ सीटों पर कड़ी टक्कर।

मुख्य मुद्दे और जनभावना

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मतदाताओं के बीच कई स्थानीय और राज्य-स्तरीय मुद्दे चर्चा में रहे। इस बार का चुनाव पूरी तरह विकास बनाम रोजगार, स्थिरता बनाम बदलाव, और युवा बनाम अनुभवी नेतृत्व के इर्द-गिर्द घूमता दिखाई दिया। एग्जिट पोल के अनुसार, जनता का मूड विभाजित है — कुछ मतदाता स्थिर शासन को प्राथमिकता दे रहे हैं, तो कुछ बदलाव की चाह में दिखे।

रोजगार और बेरोजगारी

  • यह इस चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा रहा।
  • युवाओं ने हर दल से रोजगार की ठोस योजना की मांग की।
  • RJD–कांग्रेस गठबंधन ने “10 लाख नौकरियों” का वादा दोहराया, जिससे युवा वर्ग में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली।
  • एनडीए ने अपने शासनकाल में हुए विकास कार्यों और सरकारी भर्तियों का हवाला दिया, लेकिन बेरोजगारी पर विपक्ष ने इसे चुनावी मुद्दा बना दिया।

महंगाई और आर्थिक हालात

  • बढ़ती कीमतों, विशेषकर गैस सिलिंडर और आवश्यक वस्तुओं की दरों ने आम मतदाता को प्रभावित किया।
  • ग्रामीण इलाकों में लोग महंगाई को लेकर नाराज़ दिखे, जबकि शहरी मतदाताओं ने इसे राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखा।
  • एग्जिट पोल संकेत देते हैं कि महंगाई ने एनडीए के वोट प्रतिशत पर हल्का असर डाला है।

कानून व्यवस्था और सुशासन

  • नीतीश कुमार का “सुशासन बाबू” वाला टैग अब भी कई मतदाताओं के लिए विश्वास का प्रतीक है।
  • हालांकि, विपक्ष ने हाल के अपराध मामलों और भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर सरकार पर निशाना साधा।
  • जनता में यह बहस भी रही कि क्या “सुशासन” की चमक फीकी पड़ चुकी है या अभी भी बरकरार है।

जातीय समीकरण और सामाजिक संतुलन

  • बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों पर हमेशा निर्भर रही है।
  • यादव–मुस्लिम गठजोड़ ने महागठबंधन को मजबूती दी, जबकि एनडीए ने कुर्मी, सवर्ण और अति पिछड़े वर्गों को साधने की रणनीति अपनाई।
  • दलित और महिला वोटरों की भूमिका निर्णायक रही — दोनों पक्षों ने इन्हें आकर्षित करने के लिए कई घोषणाएँ कीं।

युवा और महिला मतदाता

  • इस बार युवाओं का उत्साह अभूतपूर्व रहा — कई सीटों पर मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
  • महिला मतदाताओं ने भी बड़ी संख्या में मतदान किया, और एनडीए ने अपने महिला-केंद्रित कार्यक्रमों जैसे “मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना” पर भरोसा जताया।
  • एग्जिट पोल बताते हैं कि महिला मतदाताओं का झुकाव एनडीए की ओर जबकि युवा मतदाताओं का समर्थन महागठबंधन की ओर अधिक रहा।

नेतृत्व और छवि

  • तेजस्वी यादव की छवि एक युवा, ऊर्जावान और रोजगार-केंद्रित नेता के रूप में उभरी।
  • नीतीश कुमार को अनुभवी और स्थिर शासन का प्रतीक माना गया।
  • दोनों नेताओं की छवि के बीच सीधा टकराव देखा गया — “अनुभव बनाम ऊर्जा” का चुनावी नैरेटिव जनता में गूंजता रहा।

निष्कर्ष

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के एग्जिट पोल्स ने राज्य की राजनीति को एक बार फिर रोमांचक मोड़ पर ला खड़ा किया है। परिणामों से पहले ही यह स्पष्ट हो गया है कि जनता ने किसी एक गठबंधन को स्पष्ट जनादेश नहीं दिया है। महागठबंधन और एनडीएदोनों के बीच मुकाबला बेहद करीबी है, जिससे यह चुनाव सत्ता परिवर्तन या फिर यथास्थिति — दोनों की संभावनाओं को समान रूप से खुला छोड़ता है।

एग्जिट पोल्स से निकला संदेश

  • जनता का मूड विभाजित है — एक तरफ बदलाव की चाह, तो दूसरी तरफ स्थिरता की उम्मीद।
  • एग्जिट पोल्स में कहीं महागठबंधन को बढ़त दिखी है तो कहीं एनडीए को।
  • कुल मिलाकर तस्वीर यह बताती है कि बिहार का जनादेश संतुलित और सोच-समझकर दिया गया है

संभावित परिदृश्य

  • यदि नतीजे एग्जिट पोल्स के अनुरूप रहते हैं, तो किसी भी गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा।
  • इस स्थिति में छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों की भूमिका निर्णायक बन जाएगी।
  • सरकार गठन के लिए सहमति, गठबंधन-वार्ता और रणनीतिक समझौते अहम भूमिका निभाएंगे।

राजनीतिक अर्थ

  • बिहार की जनता अब केवल जातीय समीकरणों पर नहीं, बल्कि मुद्दों, नेतृत्व और शासन के प्रदर्शन पर वोट दे रही है।
  • यह चुनाव बताता है कि मतदाता अब राजनीतिक जवाबदेही और विकास की दिशा को प्राथमिकता देने लगा है।
  • परिणाम चाहे जो भी हों, तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार — दोनों की साख और भविष्य की राजनीति इस चुनाव से गहराई से प्रभावित होगी।

अंतिम संदेश

बिहार का 2025 चुनाव केवल सीटों की जंग नहीं, बल्कि जनमत की परिपक्वता का संकेत है।
अब सबकी निगाहें 2025 के वास्तविक नतीजों पर हैं — जो यह तय करेंगे कि क्या बिहार में बदलाव की बयार चलेगी या “सुशासन” का दौर बरकरार रहेगा।

 

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